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बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है

अधूरे मिसरे

बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है।
 भले ऊँची इमारत हो कभी तो यार ढहती है।।

 अहम के सामने बौने से लगते हैं उसे रिश्ते 
यही वो बात है जो आज इन आँखों से बहती है।

बना वह मोम से पत्थर गुरुरों की बदौलत ही,
 कहें कैसे हमारी रूह कितने दर्द सहती है।

जरा दामन बचा रखना यहाँ कीचड़ है राहों में,
 छुपा है हाथ में खंजर जिसे वो मीत कहती है।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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3 Comments

सुन्दर सृजन

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Alka jain

15-Jul-2023 11:26 AM

Nice 👍🏼

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